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नोट:- समृद्धिकृत गैस का 99% हिस्से का हीमोग्लोबिन से संबंध रहता है।
इसके परिणाम
सामान्यतः गोताखोर जब समुद्र के नीचे से ऊपर आते हैं (अधिक दाब से निम्न दाब) वैसे ही उनके रक्त में उपस्थित नाइट्रोजन गैस बुलबुले के रूप रक्त में आ जाती है। जिससे रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है जिससे आकस्मिक ही उनकी मृत्यु हो जाती है। इसे डीकंप्रेशन सीकनेस कहते हैं।इससे साल भर में कई लोगों की मौत हो जाती थी। इसका इलाज ढूंढते समय चिकित्सकों ने पाया कि गोताखोरों को अधिक दाब वाली ऑक्सीजन देने से मरीज बिल्कुल ठीक हो जाता है इसी कारण इस चिकित्सा पद्धति को हाइपर बैरिक ऑक्सीजन थेरेपी (MBOD) का नाम दिया गया है। इस पद्धति से कई प्रकार की बीमारियां ठीक की जा सकती हैं जैसे रक्ताल्पता, पुराने घाव, रक्त में कार्बन मोनोऑक्साइड आदि विषैली गैसों की अधिकता रेडिएशन बर्न आदि। आज कई वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यह पद्धति कैंसर जैसी घातक बीमारियों को भी मिटा सकती है।
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धन्यवाद
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Very nice content
ReplyDeleteधन्यवाद भाईसाहब।
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