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ये हैं खतरनाक मानसिक बीमारियां।

मा नसिक बीमारियां ऐसी बीमारियां हैं जो हमारे मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। आज विश्व के कई लोग मानसिक बीमारियों से पीड़ित हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 30 करोड़ लोग मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, जिनमें से लगभग 5 करोड़ भारतीय हैं। मानसिक बीमारियां दुनिया के समक्ष एक विकराल समस्या बनी हुई है। यह बीमारियां किसी भी तरह के इंसान को चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा हो सकती हैं। मानसिक बीमारियां हमारे शरीर को पूरी तरह प्रभावित करती हैं और अन्य गंभीर बीमारियों को भी जन्म देती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति मानसिक बीमारी से आत्महत्या कर लेता है। मानसिक बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को " विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस " के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सन 1948 में " विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ " की स्थापना की गई। आज कई तरह के मानसिक विकारों का पता लगाया जा चुका है, जिनके बारे में जानकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज के इस लेख मे

डायबिटीज क्या है।

डायबिटीज दुनिया के सामने एक गंभीर समस्या है और आए दिन बढ़ती ही जा रही है। यदि हमने इसे नियंत्रित नहीं किया तो यह हमारे लिए सबसे बड़ा अभिशाप बनेगी। तमाम दुनिया के लोग डायबिटीज से से पीड़ित हैं। बात की जाए हमारे देश की तो यहां समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व का हर पांचवा डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति भारतीय है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या वर्ष 2030 तक 10 करोड़ पहुंच जाएगी। डायबिटीज बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपनी चपेट में ले रही है। यह हमारे शरीर को बीमारी का घर बना देती है। डायबिटीज होने के साथ ही हमारे शरीर उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी विकार, गुर्दे में तकलीफ आदि तरह तरह के रोग होने लगते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक सिद्ध होते हैं। यदि समय रहते डायबिटीज पर नियंत्रण नहीं किया गया तो शायद पीड़ित व्यक्ति को बहुत जल्द ही अपनी जान गंवानी पड़ सकती है। क्या है डायबिटीज। जब रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) की मात्रा सामान्य से कहीं ज्यादा हो जाती है उस स्थिति को हम डायबिटीज या शुगर कहते हैं। हमारे शरीर में इंसुलिन नामक हार

क्या है "टीबी" जिसने सारी दुनिया को चपेट में ले रखा है।

टीबी (क्षय रोग) आज संपूर्ण विश्व के लिए एक विकराल समस्या बनती जा रही है। हर साल लाखों लोग इस गंभीर बीमारी के चलते अपनी जान गंवा देते हैं। चलिए दोस्तों आज हम जानेंगे टीबी के बारे में सब कुछ। एक सर्वे के मुताबिक वर्ष 2016 में कुल 1.4 करोड लोग इस बीमारी से पीड़ित थे जिनमें से लगभग 18 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। यह जानना काफी महत्वपूर्ण है कि हर साल टीबी के कारण अपनी जान गवाने वाले लोगों में से 27% भारत में से हैं यह आंकड़ा हम भारतीयों के लिए काफी चिंताजनक है। टीबी के बढ़ते प्रकोप को कम करने के लिए तथा लोगों को इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 24 मार्च "विश्व टीबी दिवस" के रूप में मनाया जाता है। world tb day बात की जाए टीबी के उपचार की तो वर्तमान की चिकित्सा पद्धति से टीबी का उपचार पूर्णतः संभव है। लेकिन आज से कुछ वर्षों पूर्व तक ऐसा नहीं था अर्थात जिन लोगों को टीबी हो जाती थी उनकी मृत्यु लगभग तय ही हो जाती थी। यह लाइलाज बीमारी नहीं है निश्चित समय तक दवाओं के सेवन से इससे मुक्ति पाई जा सकती है। क्या है "टीबी" टीबी एक प्रकार

"ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया" बीमारी जो सलमान खान को भी है।

हिंदी फिल्मों के चांद कहा जाने वाले "सलमान खान" को आखिर कौन नहीं जानता। सलमान खान आज अपनी अभूतपूर्व प्रतिभा और अपनी अद्भुत अदाकारी के चलते पूरे भारतवर्ष में अपनी समूची पहचान बनाने में सफल रहे हैं। salman khan ko hi ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी    ब बहरहालवे भी इन बीमारियों से खुद को नहीं बचा पाए और चपेट में आ गए एक ऐसी बीमारी के जो अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है, जो है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया। आपको बता दें कि यह बीमारी 14000 लोगों में से सिर्फ एक को ही होती है। क्या है  ट्राइजेमिनल   न्यूराल्जिया।  ट्राइजेमिनल  न्यूराल्जिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति के चेहरे में भीषण दर्द होने लगता है।यह  दर्द  ज्यादातर हवा के झोंकों से, शेव करते वक्त, खाना खाते समय, बात करने के दौरान भी हो ने  ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी    लगता है।  इसमें शरीर की मांसपेशियां बुरी तरह प्रभावित होती हैं। और मांसपेशियों में दर्द होता है। इस रोग का सबसे ज्यादा प्रभाव शिर, जबड़ों और गालों पर होता है। क्योंकि यह मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र में विकार होने के कारण ह

बच्चों को भी बूढ़ा कर देती है "प्रोजेरिया" नामक यह बीमारी

बच्चों को भी बूढ़ा कर देती है प्रोजेरिया नामक यह बीमारी। हम आए दिन नई बीमारियों से परिचित होते रहते हैं वैसे तो ज्यादातर बीमारियां सामान्य ही होती हैं। लेकिन कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके बारे में सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं। इन्हीं बीमारियों में से एक है प्रोजेरिया । क्या है प्रोजेरिया । प्रोजेरिया एक ऐसा रोग है जिससे बच्चे कम उम्र में ही बूढ़े दिखने लगते हैं। यह एक अत्यंत दुर्लभ बीमारी है। progeria  प्रोजेरिया का दूसरा नाम  "हचिंसन गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम" भी है। यह एक अनुवांशिक बीमारी है। जो 100 में से 1% मामलों में ही अगली पीढ़ी तक जाती है। यह एक दुर्लभ बीमारी है जो करोड़ों में से किसी एक में ही पाई जाती है। अब तक दुनिया में इस बीमारी के लगभग 100 मामले सामने आए हैं। प्रोजेरिया नामक यह बीमारी जीनों तथा कोशिकाओं में उत्परिवर्तन के कारण होती है। लेकिन दुनिया में कई लोगों का यह भी मानना है कि यह बीमारी हार्मोन में असंतुलन के कारण होती है। लेकिन हाल ही में हुए शोध यह बताते हैं कि इसका जिम्मेदार लैमिन-ए नामक जीन है। इस बीमारी से ग्रसित तकरीबन 9

भगवान का दूसरा रूप है "स्टेम सेल थेरेपी" " stem cell therapy"

जानिए क्या है स्टेम सेल थेरेपी। आपने अपने आस पास  ऐसे लोगों को जरूर देखा होगा जिन्होंने अपने शरीर के कुछ अंग जैसे हाथ या पैर जन्म से ही या किसी दुर्घटना से खो दिए हैं। आपके मन में भी इन्हें देख कर शायद यही ख्याल आया होगा कि काश भगवान इन्हें वापस वही अंग दे सकें। stem cell therapy लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने यह संभव कर दिया है। जिससे शरीर के किसी भी अंग को दोबारा लाया जा सकता है। यह सब संभव हो पाया है "स्टेम सेल थेरेपी" के बदौलत। क्या है  "स्टेम सेल थेरेपी" जैसा कि आपको पता ही है कि हमारा शरीर कोशिकाओं (cells) से मिलकर बना रहता है। कोशिकाएं आपस में मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं तथा ऊतक परस्पर मिलकर अंगों का निर्माण करते हैं। हमारा शरीर इन्हीं अंगो से मिलकर बना होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं का कई प्रकार की जैविक अभिक्रियाओं के कारण क्षरण होता रहता है, और नई कोशिकाएं बनती रहती हैं। यह प्रक्रिया शरीर में निरंतर चलती रहती है। लेकिन जब किसी कारणवश हमारी शरीर में किसी स्थान पर नई कोशिकाओं का निर्माण बंद हो जा

इतनी मजेदार होती है मोती बनने की प्रक्रिया।

हेलो दोस्तों आपने तो मोतियों की चमकदार माला जरूर देखी होगी। श्वेत वर्ण लिए चमकदार माला मानो सभी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। आज स्त्रियां सौंदर्य प्रसाधन के रूप में मोतियों की माला का काफी मात्रा में उपयोग कर रही हैं। लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह श्वेत चमकदार मोती आते कहां से हैं। moti  चलिए दोस्तों आज हम जानेंगे कि आखिर मोतियों की माला आते कहां से हैं। मोतियों के प्राप्ति का स्त्रोत घेंघा है। घेंघा एक विशेष प्रकार का समुद्री जीव होता है जो प्राकृतिक रूप से मोती का निर्माण करता है। घेंघा एक कठोर परत के अंदर अपने आप को सुरक्षित रखता रखता है। उस कठोर परत को शीप कहते हैं। जब इन शीपों में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं तो रेत के कण शीप के अंदर पहुंच जाते हैं और घेंघे के शरीर के ऊपर एकत्रित हो जाते हैं। तत्पश्चात एकत्रित घूल के कण एक विशेष प्रकार के चमकदार श्वेत गोल ठोस में परिवर्तित हो जाते हैं। यह ठोस कैल्शियम कार्बोनेट का बना होता है। जो घेंघे के ही शरीर से उत्सर्जित होता है। इस चमकदार ठोस को ही मोती कहते हैं। ज्यादातर मोती गोल ही होते हैं। मोती निर्माण के पश्चा

क्या है हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थेरेपी।

यदि हमसे कहा जाए कि मानव को इस पृथ्वी में जीवित रहने के लिए क्या सबसे आवश्यक है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले प्राण वायु ऑक्सीजन(O2) का ही नाम आता है। आखिर आए भी क्यों ना सदियों से यह पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीव जंतुओं का पालन पोषण जो कर रही है। बिना ऑक्सीजन के हम कुछ ही क्षणों में मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। यह मानव को प्रकृति द्वारा मिला सबसे महत्वपूर्ण उपहारों में से एक है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारी पृथ्वी में उपस्थित 100% गैसों में ऑक्सीजन की मात्रा महज 21% ही है, जबकि शेष 78% नाइट्रोजन तथा 1% अन्य गैसें और धूलकण हैं। मनुष्य सांस के रूप में ऑक्सीजन ग्रहण करता है और शरीर में विविध प्रक्रियाओं से बनी विषैली गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड(CO2) आदि गैसों को त्यागता है। एक सामान्य व्यक्ति जब वायुमंडल से ऑक्सीजन को ग्रहण करता है तो रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन से यह ऑक्सीजन 95% तक संतृप्त हो जाता है। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में कोई भी परेशानी नहीं होती और यह हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की उपयुक्त मात्रा प्रदान करता है। जिससे शरीर समुचित तरीके से अपना कार्य क

जानिए शवों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है।

जानिए शवों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है। क्या आपके दिमाग में भी कभी ये सवाल आया है कि, अभिनेताओं  या बड़े लोगों की मृत्यु के बाद उनके शवों को चार-पांच दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है। क्यों उनके शव से बदबू नहीं आती। वैसे तो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका शरीर सड़ने लगता है और उससे अजीब तरह की गंध आने लगती है, क्योंकि मनुष्य के शरीर में उपस्थित विभिन्न प्रकार के एंजॉइम जो कि विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहे होते हैं वे स्वयं शरीर को खाने लगते हैं। embalming चलिए दोस्तों अब जानते हैं आखिर मृत शरीर को कई दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है। मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए जिस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है उसे embalming प्रक्रिया कहते हैं। Embalming तरल एक विशेष प्रकार का तरल होता है, जिसमें मेथेनॉल,एथेनाल, फॉर्म एल्डिहाइड, फिनाल और पानी मिला होता है। embalming  Embalming प्रक्रिया शुरू करने से पहले मृतक शरीर को अच्छी तरह से कीटाणुनाशक तरल से नहलाया जाता है। तत्पश्चात embalming प्रक्रिया शुरू की जाती है। कितने प्रकार से होती है embalming प्र