Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2019

आंखों से हम कैसे देख पाते हैं।

 आंख से हम कैसे देख पाते  हैं।  कभी न कभी प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर हमारी आंखें कैसे हमे ये दुनिया दिखाती हैं।  हमारी आंखों को देखने में लिए किन-किन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है।  हम जाने की हमारी आंखें कैसे काम करती हैं, इससे पहले हमे जानना होगा हमारी आखों की आंतरिक संरचना में बारे में। आखों की संरचना  जैसा की हम सब जानते हैं कि प्रत्येक मनुष्य में दो ही आंखें होती हैं। हमरे आखों की संरचना एक गोले के समान होती है, जिसे नेत्रगोलक कहा जाता है। नेत्रागोलक का व्यास 25 मिलीमीटर जितना होता है। नेत्रगोलक का बाहरी हिस्सा एक पतली पारभाषी परत से मिलकर बना होता है, जो " कंजक्टाइवा" के नाम से जाना जाता है। कंजक्टाइवा के अंदर एक और परत पाई जाती है जिसे हम " इस्कलेरा " के नाम से जानते हैं।   चलिए अब बात करते हैं आंखों की आंतरिक संरचना की। हमारी आंखों के अंदर कॉर्निया, परितारिका, पुतली, नेत्रोद, अभिनेत्र लेंस, तथा रेटिना पाए जाते हैं। कार्निया एक परदर्शक तथा अत्यंत पतली झिल्ली जैसी संरचना होती है। नेत्र के अग्र भा

क्या आपको पता है बिजली के इतिहास का सबसे रोचक वैज्ञानिक प्रयोग।

क्या आपको पता है इतिहास का सबसे रोचक वैज्ञानिक प्रयोग  आज बिजली का उपयोग हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है। बिजली आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। बिजली की इसी उपयोगिता के कारण आज कई देश इस के ज्यादा से ज्यादा उत्पादन का भरसक प्रयास कर रहे हैं। हमने बिजली की उपयोगिता के बारे में जाना। अब हम जानेंगे इसके इतिहास की एक ऐसी घटना जो आप को रोमांचित कर देगी। बात की जाए बिजली की इतिहास की तो बिजली का आविष्कार किसी एक वैज्ञानिक ने व्यक्तिगत रूप से नहीं किया, बल्कि कई वैज्ञानिकों के सार्थक प्रयोगों द्वारा आज हम बिजली का आविष्कार करने में सक्षम हो सकें। यह वैज्ञानिक है निकोला टेस्ला, बोल्टा, गैल्वेनी, मैक्सवेल इत्यादि। गैल्वेनी जो कि इटालियन विद्वान थे, उनके ज्ञान की चर्चा दूर-दूर तक फैली थी। उनके पास बिजली उत्पादक मशीन थी। जिसके द्वारा विद्यार्थियों को दिखाया करते थे कि आखिर बिजली क्या है। इसके लिए वे एक कांच के ऊपर रेशम के कपड़े को रगड़ते थे और रगड़ने के बाद वह इस पर एक लट्टू को रखते थे। जैसे ही वे लट्टू को कांच पर रखते वैसे ही उससे चिंगारियां निकलने लगती।

क्यों आरस्तु को उनके घर से निकाला गया था।

क्यों आरस्तु को उनके घर से निकाला गया था  आज आरस्तु का नाम  कौन नही जानता। आरस्तु एक यूनानी  दार्शनिक थे। आरस्तु विश्वविजेता सिकंदर महान   के गुरु तथा प्लेटो के शिष्य थे। अरस्तु एक महान भौतिक शास्त्री, जीव विज्ञानी, कवि, नााटककार, राजनीति शास्त्री इत्यादि थे। आज हम आपको आरस्तु  के जीवन से जुडी एक महत्वपूर्ण और दुखद घटना के बारे में बातएंगे। आखिर क्यों आरस्तु को उनके गृह नगर से निकाल दिया गया था। क्यों आरस्तु को बेघर कर दिया गया था प्राचीन काल में  धार्मिक तथा वैज्ञानिक प्रवृतियों में बहुत विरोधाभास था। इसी वीरोधाभास के कारण अरस्तु को बेघर होना पड़ा था। "देवता ज्यूस" यूनानियों के सबसे महान देवता थे। यूनानी मानते थे की "देवता ज्यूस" ने ही इस दुनिया का निर्माण किया है। यूनानी  हीलियस  को सूर्य का देवता मानते थे। उनकी मान्यता थी कि हीलियस अपने "प्रकाशवान घोड़ों" के सजे हुए रथ से सुबह पृथ्वी के नीचे से निकलते हैं और शाम होते ही वे अपने घोड़ों को आराम देने के लिए पृथ्वी के नीचे चले जाते हैं। (यूनानी इसी रथ को सूर्य मानते थे ) यूनानी कथाओं के