हमे आकाश नीला क्यों दिखता है?
क्या आपने भी कभी सोचा है कि आखिर ये आकाश हमें नीला(blue) क्यों दिखता है। यदि हां तो मैं आपको बताऊंगा की आखिर ऐसा क्यों होता है।
दोस्तों जैसा की आपको पता ही होगा कि प्रकाश 7 (seven) रंगों से मिलकर बना होता है जो हैं- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल। उसी प्रकार सूर्य से निकलने वाला प्रकाश भी 7 रंगों से मिलकर बना होता है।
अब बात आती है प्रकाश के व्यवहार की तो प्रकाश कई तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है जैसे- परावर्तन(reflection), अपवर्तन(refraction), विवर्तन (diffraction) तथा प्रकीर्णन( dispertion) आदि।
चलिए अब जानते हैं कि आखिर प्रकीर्णन है क्या?
दोस्तो प्रकीर्णन प्रकाश का एक महत्वूर्ण गुण है, आइए प्रकीर्णन को परिभाषित करते हैं। "प्रकाश का अत्यंत सूक्ष्म कणों से टकराकर बिखर जाना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है"। दोस्तों अब हमने प्रकाश के प्रकीर्णन को समझ ही लिया है तो अब हम बात कर लेते हैं, सूर्य प्रकाश में प्रकीर्णन की। सूर्य के प्रकाश के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है। सूर्य का प्रकाश पहले तो स्वेत( white) होता है। लेकिन जिसे ही वह प्रथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तभी उसका सामना धूल के अत्यंत सूक्ष्म कणों से होता है। ये सूक्ष्म कण प्रकाश से टकराकर उसका प्रकीर्णन कर देते हैं। चूंकि सबसे ज्यादा प्रकीर्णन नीले रंग का होता है जिससे नीला रंग सारे आसमान में ज्यादा बिखर जाता है, और शेष रंग कम बिखरते हैं।
नीला रंग ज्यादा बिखरने के कारण हमें आकाश नीला दिखाई देता है। अतः नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा होता है, और आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
धन्यवाद!
Sky blue |
अब बात आती है प्रकाश के व्यवहार की तो प्रकाश कई तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है जैसे- परावर्तन(reflection), अपवर्तन(refraction), विवर्तन (diffraction) तथा प्रकीर्णन( dispertion) आदि।
चलिए अब जानते हैं कि आखिर प्रकीर्णन है क्या?
दोस्तो प्रकीर्णन प्रकाश का एक महत्वूर्ण गुण है, आइए प्रकीर्णन को परिभाषित करते हैं। "प्रकाश का अत्यंत सूक्ष्म कणों से टकराकर बिखर जाना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है"। दोस्तों अब हमने प्रकाश के प्रकीर्णन को समझ ही लिया है तो अब हम बात कर लेते हैं, सूर्य प्रकाश में प्रकीर्णन की। सूर्य के प्रकाश के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है। सूर्य का प्रकाश पहले तो स्वेत( white) होता है। लेकिन जिसे ही वह प्रथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तभी उसका सामना धूल के अत्यंत सूक्ष्म कणों से होता है। ये सूक्ष्म कण प्रकाश से टकराकर उसका प्रकीर्णन कर देते हैं। चूंकि सबसे ज्यादा प्रकीर्णन नीले रंग का होता है जिससे नीला रंग सारे आसमान में ज्यादा बिखर जाता है, और शेष रंग कम बिखरते हैं।
Sky blue |
नीला रंग ज्यादा बिखरने के कारण हमें आकाश नीला दिखाई देता है। अतः नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा होता है, और आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
आज आपने जाना कि आकाश नीला क्यों दिखाई देता है।
दोस्तों मुझे आशा है कि यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी।धन्यवाद!
NYC sir
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteNice lakhanu hi sir
ReplyDeleteFantastic bhi
ReplyDeleteThanks dear
ReplyDeletehttps://dushscience.blogspot.com/2021/03/akash-ka-rang-neela-kyon-dikhai-deta-hai.html
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