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ऐसे आविष्कार जो आकस्मिक ही हो गएं थे।

हेलो दोस्तो  जब हम बात करते हैं विद्युत बल्ब की तो हम इसके खोजकर्ता थामस अल्वा एडिसन के बारे में बात करने से बिल्कुल भी नहीं चूकते। थॉमस अल्वा एडिसन की विज्ञान के प्रति निष्ठा तथा लगन का परिणाम ही आज हम विद्युत बल्बों के रूप में देखते हैं। कहा जाता है कि उन्हें बल्ब का निर्माण करते समय हजारों बार असफलताओं का सामना करना पड़ा था। पर शायद असफलता सफलता पाने के लिए ही आती है। विज्ञान के इतिहास में विद्युत बल्ब की खोज एक महान खोज थी। इसी तरह मैं आज आपको कुछ ऐसी ही महान खोजों के बारे में बताऊंगा जो आकस्मिक रूप से की गई थीं। अर्थात वैज्ञानिक कुछ और बनाने का प्रयास कर रहें थे लेकिन उन्हें कुछ और महान चीज़ें मिलीं। 1- X-ray की खोज वैसे तो आप सभी को पता ही होगा कि   की खोज विलियम रांट्जन ने की थी। पर शायद इसको इसका इतिहास न पता हो। एक्स-रे की खोज उन्हीं खोजों में शामिल है जो आकस्मिक रूप से की गईं थी। दरअसल जब विलियम रांट्जन अपनी प्रयोगशाला में काले गत्ते से ढकी विसर्जन नलिका पर कैथोड किरणों का अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने विसर्जन नलिका को काले गत्ते से इसलिए ढक रखा था ताकि प्रक

क्या है q-कार्बन जो हीरे से भी ज्यादा मजबूत है।

आप सब तो कार्बन से भलीभांति परिचित ही होंगे। कार्बन हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। आमतौर पर लोगों को कार्बन के केवल दो या चार अपरूप के बारे में ही पता होता है जो हैं ही रा , ग्रेफाइट, फुलेरीन तथा ग्राफीन । लेकिन रुकिए कार्बन के अन्य कई अपररूप भी पाए जाते हैं, जिनमें से एक है नवनिर्मित Q-कार्बन यह भी एक कार्बन का अपरूप है। जो हाल ही में खोजा गया है। q-carbon नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के साथी वैज्ञानिक सीफैन डिस्टिंगुइथ्स, प्रोफेसर जगदीश नारायण तथा अन्य सहकर्मियों द्वारा इसकी खोज की गई, जिसको उन्होंने Q-कार्बन नाम दिया। इसके निर्माण के लिए वैज्ञानिकों ने विशिष्ट बहुलक उच्च घनत्व पाली इथाईलीन पर  अक्रिस्टलीय कार्बन की 50 से 500 नैनोमीटर की मोटाई की एक परत चढ़ाई। तत्पश्चात इसमें एक्साईमर लेजर स्पंदो की बौछार की गई जिससे यह गर्म होकर पिघलने लगी। पिघलते ही इसे क्लेचिंग नामक तकनीकी से शीघ्र ही ठंडा कर लिया गया। जिससे कार्बन कि एक नवीन अति सघन अवस्था का निर्माण हुआ, जिसे इन्होंने क्लेचिंग   नामक तकनीक के आधार पर Q-कार्बन नाम दिया। क्यों महत्वपूर्ण है यह हमारे लिए Q

हीरे से भी ज्यादा कठोर है यह ग्राफीन नाम का पदार्थ।

हीरे से भी ज्यादा कठोर है यह ग्राफीन नाम का पदार्थ। क्या आप भी सोचते हैं कि हीरा इस दुनिया का सबसे कठोरतम पदार्थ है। लेकिन रुकिए, हीरा नहीं बल्कि ग्राफीन इस दुनिया का सबसे कठोरतम पदार्थ है। graphene क्या है ग्राफीन ग्राफीन इस दुनिया का सबसे  कठोरतम पदार्थ  है इसकी खोज 2010 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के 2 वैज्ञानिक (जो कि आपस में गुरु शिष्य थे) आंद्रे जिन तथा कांस्टेटिन   ने किया था जिसके लिए उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। जैसा कि हम सब जानते हैं कि कार्बन इस दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे जीवन को भी चलाए हुए है। कार्बन के 3 अपररूप पाए जाते हैं, जो हैं हीरा, ग्रेफाइट तथा फुलेरीन । एक बार दोनों वैज्ञानिक ग्रेफाइट के ब्लॉक पर टेप चिपकाकर बार बार परतें उकेर रहे थे। इसी दौरान उन्हें कुछ ऐसी परतें मिली जो मोटाई में महज एक परमाणु के बराबर थी अध्ययन के बाद यह पाया गया कि इन पतली परतों में ऐसे गुण हैं जो कि काफी असामान्य है। यह परतें काफी ज्यादा मजबूत थी। यह पारदर्शी तथा प्रत्यास्थ भी थी। अतः ग्राफीन कार्बन परमाणु में से बनी एक अत्यंत

आकाश नीला क्यों दिखाई देता है। Aakash nila kyon dikhai deta hi.

हमे आकाश नीला क्यों दिखता है? क्या आपने भी कभी सोचा है कि आखिर ये आकाश हमें  नीला(blue) क्यों दिखता है। यदि हां तो मैं आपको बताऊंगा की आखिर ऐसा क्यों होता है। Sky blue आकाश नीला दिखने का कारण- दोस्तों जैसा की आपको पता ही होगा कि प्रकाश 7 (seven) रंगों से मिलकर बना होता है जो हैं- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल। उसी प्रकार सूर्य से निकलने वाला प्रकाश भी 7 रंगों से मिलकर बना होता है। Sky blue अब बात आती है प्रकाश के व्यवहार की तो प्रकाश कई तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है जैसे- परावर्तन(reflection), अपवर्तन(refraction), विवर्तन (diffraction) तथा प्रकीर्णन( dispertion) आदि। चलिए अब जानते हैं कि आखिर प्रकीर्णन है क्या? दोस्तो प्रकीर्णन प्रकाश का एक महत्वूर्ण गुण है, आइए प्रकीर्णन को परिभाषित करते हैं। "प्रकाश का अत्यंत सूक्ष्म कणों से टकराकर बिखर जाना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है"। दोस्तों अब हमने प्रकाश के प्रकीर्णन को समझ ही लिया है तो अब हम बात कर लेते हैं, सूर्य प्रकाश में प्रकीर्णन की। सूर्य के प्रकाश के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है।