Skip to main content

Posts

पढ़िए अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के टीचर के लिए लिखा गया पत्र।

यह पत्र अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के शिक्षक के लिए लिखा था। जिसे पढ़ने के बाद आप प्रेरणा से भर जाएंगे।  माननीय महोदय! मेरे विचार से हर एक व्यक्ति सच्चा नहीं होता और ना ही सभी गलत होते हैं, किंतु आपको उसे सिखाना होगा कि कौन सच्चा है और कौन गलत है। इस दुनिया में दोस्तों के साथ-साथ आदर्श प्रेरणादायक लोग भी हैं अपने स्वार्थ के लिए जीने वाले नेताओं के साथ सच्चे लोक सेवक नेता भी होते हैं। दुश्मनों के साथ साथ सच्चे मित्र भी होते हैं। हर विरुपता के साथ-साथ सुंदरता भी विद्यमान होती है। आपको चाहे समय कुछ भी लग जाए परंतु आप उसे यह बात जरूर सिखाएगा कि स्वयं का एक कमाना पाए हुए पांच से कहीं ज्यादा मूल्यवान है। आप उसे यह भी सिखाईएगा की हार को कैसे झेलें और जीत की खुशियां कैसे मनाएं। आप उसके मन से ईर्ष्या और द्वेष को हटाने का प्रयास जरूर करना और यदि हो सके तो जीवन में छिपी मौन मुस्कान का पाठ पढ़ाना। आप उसे यह बताने की भी जरूर कृपा कीजिएगा कि दूसरों को आतंकित करने वाला खुद कमजोर होता है उसके मन के अंदर स्वयं चोर होता है, इसलिए वह भयभीत व चिंतित होता है। यदि हो सके तो उसे जीवन में

क्या मांसाहार सही हैं।

जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे शरीर को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन द्वारा प्राप्त होती है। हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन जितना जरूरी होता है उससे के साथ-साथ फल भी अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। हम सभी फल से होने वाले फायदों से तो भली प्रकार परिचित ही होंगे। फल हमें और भी ज्यादा ऊर्जावान और तंदुरुस्त बनाते हैं चलिए आज हम जानेंगे विभिन्न विद्वानों के फल के विषय में कुछ महत्वपूर्ण कथन जो आपको फल खाने के लिए अवश्य प्रेरित करेंगे। महात्मा गांधी के अनुसार:- "वनस्पतिक भोजन मनुष्य के लिए उत्तम है, परंतु फलों के पश्चात। वनस्पतिक पदार्थों के साथ-साथ प्रत्येक प्रकार की साग सब्जी और दूध की भी यही अवस्था है। वनस्पतिक पदार्थों में मनुष्य को पालन करने का वह गुण नहीं है जो फलों में है, इसलिए की वानस्पति पदार्थ बिना पकाए हम खा नहीं सकते और पकाने से उनका प्राकृतिक गुण और लाभ मर जाता है।" डॉक्टर अनाकिंग्स कोर्ड  ने लिखा है:- "मुझे ऐसे बहुत से लोग मिलते हैं जो मनुष्य के मांसाहारी होने पर विवाद करते हैं। वह मनुष्य के दांत और अमाशय की बन

बिग-बैंग का सिद्धांत।

जब हम रात में दूर आकाश की तरफ देखते हैं तो हमारा यही प्रश्न होता है कि आखिर इतना विशाल ब्रह्मांड अस्तित्व में कैसे आया। आज हम जानेंगे बिग-बैंग के बारे में जो ब्रह्मांड के निर्माण की सबसे सटीक व्याख्या करता है। वैसे तो ब्रह्मांड के निर्माण को लेकर कई तरह के सिद्धांत दिए जा चुके हैं, लेकिन बिग-बैंग इन सबसे अलग तथा सर्वमान्य सिद्धांत है। क्या है बिग-बैंग।  ब्रह्मांड की शुरुआत से लेकर ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 13 अरब साल पहले यह समस्त ब्रह्मांड एक अणु जितने छोटे पदार्थ के रूप में था। तब ना ही समय का अस्तित्व था और ना ही अंतरिक्ष का। आज से 13 अरब साल पहले उस परमाण्वीय बिंदु में अत्यंत तीव्रता का विस्फोट हुआ, जिससे इस ब्रह्मांड का जन्म हुआ। इसे ही बिग-बैंग कहा जाता है। अब सवाल यह उठता है कि जब समय और अंतरिक्ष का अस्तित्व ही नहीं था तो आखिर बिग-बैंग कैसे हुआ।  बिग-बैंग इसकी कोई व्याख्या नही करता। बिग-बैंग से पहले क्या था।  वैज्ञानिक इसका जवाब देते हैं कि "हमें नहीं पता कि बिग बैंक से पहले क्या था, लेकिन जब बिग-बैंग विस्फोट हुआ तब बिग-बैंग के साथ ही अंतरिक्ष औ

जानिये मिस्त्र के पिरामिडों का रहस्य।

मिस्र के पिरामिड हमेशा से मानव के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। यह सदियों से रहस्यमई बने हुए हैं। मिस्र के पिरामिड दुनिया की सात रहस्य में से एक माने जाते हैं। अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि इनका निर्माण कैसे और क्यों किया गया। इन पिरामिडों का निर्माण आज से 3500 साल पहले मिस्त्र के राजाओं ने कराया था। मिस्र के पिरामिड इस बात की ओर इशारा करते हैं की प्राचीन मिस्र वासियों को सांख्यिकी का अत्यंत ज्ञान था। यह पिरामिड प्राचीन मिस्र वासियों के ज्ञान का सबसे बड़ा उदाहरण है। वैसे तो दुनिया में हजारों की पिरामिड पाए गए। लेकिन इन पिरामिडों में मिस्र के पिरामिड सबसे अलग हैं। बात करें मिस्र के गीजा शहर में उपस्थित " ग्रेट पिरामिड " की तो यह दुनिया के सात रहस्य में से एक है। क्या है पिरामिडों का रहस्य। मिस्र में उपस्थित 138 पिरामिडों में से सबसे रहस्यमई पिरामिड है " ग्रेट पिरामिड "। इस पिरामिड का निर्माण मिस्त्र के तात्कालिक राजा कूफो ने कराया था। कहा जाता है कि इस पिरामिड के निर्माण में 23 लाख पत्थरों का उपयोग किया गया था, जिनका कुल वजन 65000 टन था। इस पि

क्या है इन चिकित्सा पद्धितियों का रहस्य।

हमारे देश में आज भी रोग हो जाने पर झाड़-फूंक का सहारा लिया जाता है। और ज्यादातर लोग इससे ठीक भी हो जाते है। यह वाकई रहस्यमई है। पाठकों आज हम इस तरह की एक रहस्यमई चिकित्सा पद्धति का विश्लेषण करेंगे । पहली है हाथों के स्पर्श से बीमारियों को ठीक करना तथा दूसरी बायोफीडबैक सिस्टम। आज इन दोनों पद्धतियों से करोड़ों लोगों के रोग दूर किए जा चुके हैं। यह दोनों पद्धतियां झाड़-फूंक से भी कहीं ज्यादा रहस्यमई हैं। यदि इन्हें चिकित्सा पद्धतियों का भेद जाने दिया गया तब आयुर्विज्ञान अपने सातवें आसमान में होगा और चिकित्सा के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व क्रांति देखने में आएगी। 1971 में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में नर्सिंग की महिला प्रोफेस र  डॉ डोलोरस क्रीगर ने पूर्वी देशों की यात्रा की और विभिन्न प्रकार के धर्मों का अध्ययन किया। और पाया कि हिंदू धर्म में जिसे "प्राण" कहां गया है वह मानव रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कणिकाओं से काफी ज्यादा समानता रखता है। हिंदू धर्म में बताया गया है कि प्राण मानव के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि ऑक्सीजन का एक अणु। उसी समय जुस्ता स्मिथ जो कि अम

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुप्रसिद्ध अनमोल विचार।

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुप्रसिद्ध अनमोल विचार।  अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी में हुआ था। उनके पिता का नाम हरमन आइंस्टीन  तथा माता का नाम पोलिन कोच था। अल्बर्ट आइंस्टीन एक महान वैज्ञानिक थे। उन्हें वर्ष 1921 का नोबल पुरस्कार भी दिया गया था। उनका सापेक्षता का सिद्धांत आज पूरी दुनिआ में प्रसिद्ध है। दुनिया उन्हें जीनियस के नाम से भी जानती हैं। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने भौतिकी के नियमों से सारी दुनिया में ख्याति प्राप्त की थी। Albert Einstein anmol vichar अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रसिद्ध अनमोल विचार यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिल्कुल नई सोच की आवश्यकता होगी। सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करें बल्कि सिद्धांतों वाला व्यक्ति बनने का प्रयत्न करें। हर कोई जीनियस है, लेकिन यदि आप मछली को उसके पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से आंकेंगे तो वह अपना सारा जीवन यह समझकर बिता देगी कि वह मूर्ख है। जिंदगी साइकिल चलाने की तरह है, आपको बैलेंस बनाए रखने के लिए चलते ही रहना होगा। कोई भी समस्या चेतना के उस स्तर पर रहकर नहीं हल की जा सकती है, जिस पर वह

भगवान गौतम बुद्ध के प्रसिद्ध सुविचार।

गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के लुम्बनी वन में 563 ईसा पूर्व हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्दोधन तथा माता का नाम मायादेवी था। बुद्ध बचपन से ही बहोत दयालु प्रकृति के थे। उनका हमेशा से विश्वाश था की मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। उन्होंने अपनी शादी के बाद अपनी पत्नी यशोधरा तथा पुत्र राहुल को छोड़कर दुनिआ के लिए मुक्ति का मार्ग ढूढने सत्य तथा ज्ञान की खोज में निकल गएँ। और जंगल में रहकर घोर तपस्या करने लगे। जिसके बाद बोधगया नामक स्थान पर पीपल के वृक्ष के निचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। और तब से वे " बुद्ध " कहलाये।   ये हैं बुद्ध के प्रसिद्ध सुविचार।   यदि आप वाकई में अपने आप से प्रेम करते हैं तो आप कभी भी दूसरों को दुख नहीं पहुंचा सकते। एक जग बूंद-बूंद करके भरता है। अपना रास्ता स्वयं बनाएं हम अकेले पैदा हुए हैं, इसलिए हमारे अलावा कोई और हमारी किस्मत का फैसला नहीं कर सकता। अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है वह ज्ञान में नहीं आकार में बढ़ता है। घृणा, घृणा से नहीं प्रेम से खत्म होती है यह शाश्वत सत्य है। असल जीवन की सबसे बड़ी विफलता है हमार