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बिग-बैंग का सिद्धांत।


जब हम रात में दूर आकाश की तरफ देखते हैं तो हमारा यही प्रश्न होता है कि आखिर इतना विशाल ब्रह्मांड अस्तित्व में कैसे आया। आज हम जानेंगे बिग-बैंग के बारे में जो ब्रह्मांड के निर्माण की सबसे सटीक व्याख्या करता है।
वैसे तो ब्रह्मांड के निर्माण को लेकर कई तरह के सिद्धांत दिए जा चुके हैं, लेकिन बिग-बैंग इन सबसे अलग तथा सर्वमान्य सिद्धांत है।
बिग-बैंग का सिद्धांत

क्या है बिग-बैंग। 


ब्रह्मांड की शुरुआत से लेकर ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 13 अरब साल पहले यह समस्त ब्रह्मांड एक अणु जितने छोटे पदार्थ के रूप में था। तब ना ही समय का अस्तित्व था और ना ही अंतरिक्ष का। आज से 13 अरब साल पहले उस परमाण्वीय बिंदु में अत्यंत तीव्रता का विस्फोट हुआ, जिससे इस ब्रह्मांड का जन्म हुआ। इसे ही बिग-बैंग कहा जाता है। अब सवाल यह उठता है कि जब समय और अंतरिक्ष का अस्तित्व ही नहीं था तो आखिर बिग-बैंग कैसे हुआ। बिग-बैंग इसकी कोई व्याख्या नही करता।

बिग-बैंग से पहले क्या था। 


वैज्ञानिक इसका जवाब देते हैं कि "हमें नहीं पता कि बिग बैंक से पहले क्या था, लेकिन जब बिग-बैंग विस्फोट हुआ तब बिग-बैंग के साथ ही अंतरिक्ष और टाइम बनना शुरू हो गए। जिससे विस्फोट के बाद पदार्थ प्रकाश के रफ्तार से भी ज्यादा वेग से फैलने लगा।"
विस्फोट होने के बाद 1 सेकंड के कुछ हिस्से में ब्रह्मांड इतना फैल चुका था जितना आज भी नहीं फैला होगा।
बिग-बैंग के तुरंत बाद का तापमान खरबों डिग्री सेल्सियस था। प्रारंभ में तापमान इतना ज्यादा था कि वहां किसी प्रकार के कणों का निर्माण नहीं हो सकता था। इसके बाद जैसे-जैसे ब्रह्मांड ठंडा होने लगा वैसे ही क्वार्कों और लेप्टानों का बनना प्रारंभ हो गया। क्वॉर्को ने आपस में मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का निर्माण किया। कुछ समय बाद प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन एक नाभिक के रूप में सामने आए। जिसके लगभग 3000000 साल बाद इलेक्ट्रॉन इन नाभिकों के चारों ओर चक्कर लगाने लगा। जिसके परिणामस्वरुप परमाणुओं का निर्माण हुआ यह प्रारंभिक परमाणु से हाइड्रोजन और हीलियम आस्तित्व में आएं। इसके लगभग 1.5 अरब साल बाद गुरुत्वाकर्षण ने अपना प्रभाव शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरुप हाइड्रोजन और हीलियम के अत्यंत पास-पास आने से और संलयन के कारण विशाल तारों का जन्म हुआ और गैलेक्सियां भी बनी।

क्या सबूत है बिग बैंग होने के।


वैसे तो बिग बैंग का सिद्धांत जॉर्ज लेमैत्रे द्वारा सन 1927 में दिया गया था जिसमें उन्होंने बताया था कि यह ब्रह्मांड big-bang विस्फोट  के बाद लगातार फैलता ही जा रहा है। इसका स्पष्टीकरण हुआ सन् 1929 में जब एडविन हबल नामक वैज्ञानिक ने अपने प्रयोगों द्वारा देखा कि हमारी आकाशगंगाएं लगातार एक दूसरे से दूर जा रही हैं। यह बिग-बैंक की घटना होने का सर्वप्रथम प्रमाण था। इसके बाद सन् 1995 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने देखा कि सुपरनोवा तारे विस्फोट करते हुए हमारी पृथ्वी से दूर जा रहे हैं, यह बिग-बैंग सिद्धांत के पक्ष में एक और ठोस प्रमाण था। इसके लिए इन वैज्ञानिकों को 2011 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया।

बिग-बैंग का सिद्धांत

बिग-बैंग की सत्यता के प्रमाण का सबसे मजबूत आधार तब मिला जब दो वैज्ञानिकों ने कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन जो बिग बैंक के समय उत्पन्न हुए थे की खोज कर ली। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि यदि यह कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन बिग-बैंग से उत्पन्न हुआ होगा तो इसकी उपस्थिति संपूर्ण ब्रह्मांड में होगी और उसके बाद कुछ ऐसा ही पाया गया।

बिग-बैंग का सिद्धांत

इससे बिग बैंक के सिद्धांत को और भी ज्यादा बल मिला। तब से अब तक बिग-बैंग के पक्ष में कई सबूत मिल चुके हैं।

दोस्तों आपको क्या लगता है कि यह वास्तव में अब आज से 13 अरब साल पहले एक बिंदु में ऐसा विस्फोट हुआ होगा जिसने ब्रह्मांड का निर्माण किया है। आप क्या सोचते हैं इस अद्भुत सिद्धांत के बारे में हमें एक बार कमेंट में जरूर बताएं हम आपके विचार जानना चाहेंगे।
यदि आपको यह एक अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें और उन्हें भी विज्ञान की रोचक दुनिया से परिचित कराएं।

धन्यवाद!

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