Skip to main content

जानिये मिस्त्र के पिरामिडों का रहस्य।


मिस्र के पिरामिड हमेशा से मानव के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। यह सदियों से रहस्यमई बने हुए हैं। मिस्र के पिरामिड दुनिया की सात रहस्य में से एक माने जाते हैं। अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि इनका निर्माण कैसे और क्यों किया गया।
जानिये मिस्त्र के पिरामिडों का रहस्य

इन पिरामिडों का निर्माण आज से 3500 साल पहले मिस्त्र के राजाओं ने कराया था। मिस्र के पिरामिड इस बात की ओर इशारा करते हैं की प्राचीन मिस्र वासियों को सांख्यिकी का अत्यंत ज्ञान था। यह पिरामिड प्राचीन मिस्र वासियों के ज्ञान का सबसे बड़ा उदाहरण है। वैसे तो दुनिया में हजारों की पिरामिड पाए गए। लेकिन इन पिरामिडों में मिस्र के पिरामिड सबसे अलग हैं। बात करें मिस्र के गीजा शहर में उपस्थित "ग्रेट पिरामिड" की तो यह दुनिया के सात रहस्य में से एक है।

क्या है पिरामिडों का रहस्य।


मिस्र में उपस्थित 138 पिरामिडों में से सबसे रहस्यमई पिरामिड है "ग्रेट पिरामिड"। इस पिरामिड का निर्माण मिस्त्र के तात्कालिक राजा कूफो ने कराया था। कहा जाता है कि इस पिरामिड के निर्माण में 23 लाख पत्थरों का उपयोग किया गया था, जिनका कुल वजन 65000 टन था। इस पिरामिड का निर्माण 23 सालों में हो पाया था। मिस्र के कई अन्य पिरामिड का निर्माण भी कुछ इसी तरह से हुआ था। ग्रेट पिरामिड की ऊंचाई 450 फुट है तथा यह लगभग 11 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें प्रयुक्त पत्थरों का वजन 2 से 30 टन के बीच है।

जानिये मिस्त्र के पिरामिडों का रहस्य

अब सवाल उठता है कि आज से 3500 साल पहले तकनीकी शून्य थी तब इन भव्य पिरामिडों का निर्माण कैसे कर लिया गया। यहां तक कि उस समय पहियों तक का आविष्कार नहीं हुआ था। एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम आज भी इस तरह के पिरामिड का निर्माण नहीं कर सकते। तो आखिर कैसे आज से 3500 साल पहले इतने बड़े पिरामिडों का निर्माण किया गया। पिरामिडों के पत्थरों को इस तरह से तराशा गया है कि इनके बीच एक अत्यंत पतली तार भी नहीं घुसाई जा सकती। अब एक सबसे बड़ा सवाल यह भी उठता है कि आखिर इतने वजनी पत्थरों को उतनी ऊंचाई तक कैसे ले जाना संभव हुआ होगा। जब मानव सभ्यता का विकास अपने शुरुआती चरण में था।
महान राजा नेपोलियन बोनापार्ट ने जब मिस्त्र पर हमला किया था तो वह भी इन पिरामिड ओं को देखकर चकित रह गए थे। इन पिरामिडों को देखकर उन्होंने कहा था कि, इन पिरामिडों में उपयोग किए गए पत्थरों से पूरे फ्रांस के चारों ओर 10 फुट लंबी तथा 1 फुट चौड़ी दीवार का निर्माण किया जा सकता है। कई लोगों का यह भी मानना है कि इन पिरामिडों का निर्माण भगवान के द्वारा किया गया था तथा कुछ लोगों का मानना है कि आज से 35 साल पहले इन पिरामिडों का निर्माण करने के लिए एलियन आते थे। और राजाओं की पिरामिडों का निर्माण करने में मदद करते थे।

क्यों किया गया था इन पिरामिडों का निर्माण।


कई इतिहासकार यह बताते हैं कि पिरामिडों का उपयोग अन्न को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था। लेकिन कई लोग इससे सहमत नहीं होते। अरबी इतिहासकारों का दावा है कि इस पिरामिड में संपूर्ण मिस्त्र का ज्ञान छुपा हुआ है, जो हीरियोग्राफी नामक भाषा में लिखा हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका। शास्त्रों से ज्ञात होता है कि प्राचीन मिस्र वासी पुनर्जन्म पर विश्वास करते थे। इसी धारणा से प्रेरित होकर उन्होंने पिरामिडों का निर्माण कराया होगा। उन्होंने शवों को सुरक्षित रखने के लिए इन पिरामिडों का निर्माण कराया होगा। प्राचीन यूनानी अपने राजाओं को देवता और मनुष्य का सम्मिलित रूप मानते थे, जिससे वह किसी राजा की मृत्यु के बाद उसकी ममी बनाकर उसके साथ रोजमर्रा की चीजें जैसे:- बर्तन, पलंग,वस्त्र जैसे उपयोगी चीजों को ले जाकर पिरामिडों के अंदर राजा के साथ रख देते थे, ताकि पुनर्जन्म के बाद वे इन तमाम चीजों का उपयोग कर सकें। सन 1954 में ग्रेट पिरामिड मैं एक गड्ढा खोज निकाला गया जिससे एक नाव निकली, इससे कई लोगों ने यह अंदाजा लगाना शुरू कर दिया कि इस नाव से राजाओं ने अमरता की ओर यात्रा की होगी।
इस तरह आज तक कोई नहीं समझा सका कि मिस्र के पिरामिडों का निर्माण क्यों और कैसे किया गया था।

दोस्तों आपका मिस्र के पिरामिड के बारे में क्या ख्याल है। क्या आज से 3500 साल पहले इस तरह के पिरामिड बनाना कैसे संभव था। एक बार कमेंट में जरूर बताएं।
यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।

धन्यवाद!

Comments

Popular posts from this blog

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुप्रसिद्ध अनमोल विचार।

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुप्रसिद्ध अनमोल विचार।  अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी में हुआ था। उनके पिता का नाम हरमन आइंस्टीन  तथा माता का नाम पोलिन कोच था। अल्बर्ट आइंस्टीन एक महान वैज्ञानिक थे। उन्हें वर्ष 1921 का नोबल पुरस्कार भी दिया गया था। उनका सापेक्षता का सिद्धांत आज पूरी दुनिआ में प्रसिद्ध है। दुनिया उन्हें जीनियस के नाम से भी जानती हैं। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने भौतिकी के नियमों से सारी दुनिया में ख्याति प्राप्त की थी। Albert Einstein anmol vichar अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रसिद्ध अनमोल विचार यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिल्कुल नई सोच की आवश्यकता होगी। सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करें बल्कि सिद्धांतों वाला व्यक्ति बनने का प्रयत्न करें। हर कोई जीनियस है, लेकिन यदि आप मछली को उसके पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से आंकेंगे तो वह अपना सारा जीवन यह समझकर बिता देगी कि वह मूर्ख है। जिंदगी साइकिल चलाने की तरह है, आपको बैलेंस बनाए रखने के लिए चलते ही रहना होगा। कोई भी समस्या चेतना के उस स्तर पर...

Linux Server Security Points

  36   Initial Setup   Ensure AppArmor is enabled in the bootloader configuration     Vim /etc/default/grub   GRUB_CMDLINE_LINUX=' apparmor =1 security= apparmor '   update-grub   https://www.tenable.com/audits/items/CIS_Debian_Linux_10_v1.0.0_L1_Workstation.audit:e623af4464dcd9d63ca5634e6a7b2a30   88   Network Configuration   Ensure packet redirect sending is disabled   vim /etc/ sysctl.conf or a /etc/ sysctl.d /     sysctl -w net.ipv4.conf.all.send_redirects=0   sysctl -w net.ipv4.conf . default.send _redirects=0   sysctl -w net.ipv4.route .flush=1     https://www.tenable.com/audits/items/Tenable_Best_Practices_Cisco_Firepower_Management_Center_OS.audit:24b8fcd749b252466282dc40c9226bf3   91   Network Configuration   Ensure secure ICMP redirects are not accepted   Ensure secure ICMP redirects are not accepted - sysctl net.ipv4.conf . default.secure _redirects  ...

अब्राहम लिंकन के प्रेरणादायक अनमोल विचार।

अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को अमेरिका के हार्डिन काउंटी में हुआ था। अब्राहम लिंकन का पूरा नाम अब्राहम थामस लिंकन था।उनके पिता का नाम थॉमस लिंकन तथा माता का नाम नैन्सी था। उनकी पत्नी मैरी टोड थीं। लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थें।  पढ़िए अब्राहम लिंकन के प्रेरणादायक अनमोल विचार। यदि आप किसी पेड़ को काटने के लिए मुझे 6 घंटे देते हैं तो मैं पहले 4 घंटे कुल्हाड़ी की धार तेज करने में लगा लूंगा। अधिकतर लोग उतने ही खुश होते हैं जितना कि वे होना चाहते हैं। यदि आप एक बार अपने साथियों का भरोसा तोड़ देते हैं तो आप फिर कभी उनका सत्कार और सम्मान नहीं पा सकते हैं। दूसरों की आजादी छीनने वालों को खुद भी इसका हक नहीं होता है। जिस तरह मैं गुलाम नहीं बन सकता, उसी प्रकार मैं किसी को गुलाम भी नहीं बनाना चाहता, सही  मायने में यही लोकतंत्र का सिद्धांत है। हमेशा यह ध्यान में रखिए कि आपका सफल होने का संकल्प किसी और भी संकल्प से बेहतर है। सच्चा मित्र वही है जिसके शत्रु वही हैं जो आपके शत्रु हैं। तुम जो भी हो नेक बनो।  पक्का कर लीजिए कि आपके प...