डायबिटीज दुनिया के सामने एक गंभीर समस्या है और आए दिन बढ़ती ही जा रही है। यदि हमने इसे नियंत्रित नहीं किया तो यह हमारे लिए सबसे बड़ा अभिशाप बनेगी। तमाम दुनिया के लोग डायबिटीज से से पीड़ित हैं। बात की जाए हमारे देश की तो यहां समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व का हर पांचवा डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति भारतीय है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या वर्ष 2030 तक 10 करोड़ पहुंच जाएगी। डायबिटीज बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपनी चपेट में ले रही है। यह हमारे शरीर को बीमारी का घर बना देती है। डायबिटीज होने के साथ ही हमारे शरीर उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी विकार, गुर्दे में तकलीफ आदि तरह तरह के रोग होने लगते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक सिद्ध होते हैं। यदि समय रहते डायबिटीज पर नियंत्रण नहीं किया गया तो शायद पीड़ित व्यक्ति को बहुत जल्द ही अपनी जान गंवानी पड़ सकती है।
क्या है डायबिटीज।
जब रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) की मात्रा सामान्य से कहीं ज्यादा हो जाती है उस स्थिति को हम डायबिटीज या शुगर कहते हैं। हमारे शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन होता है, जो रक्त में उपस्थित शर्करा को नियंत्रित करता है। यह इंसुलिन नामक हार्मोन अग्नाशय से स्त्रावित होता है। किन्हीं कारणों के चलते अग्नाशय जब इंसुलिन हार्मोन को नहीं निकाल पाता तब रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है। जिससे डायबिटीज हो जाती है। यह कभी-कभी तब भी हो जाती है जब हमारा अग्नाशय इंसुलिन को तो सही तरीके से निकाल रहा होता है, लेकिन शरीर इंसुलिन को प्रभावकारी तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। परिणाम स्वरूप रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है।
डायबिटीज के प्रकार।
डायबिटीज मुख्य रूप से 3 प्रकार की होती है टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज तथा गेस्टेशनल डायबिटीज।
टाइप 1 डायबिटीज।
टाइप 1 डायबिटीज तब होती है जब हमारे शरीर में इंसुलिन हार्मोन का निर्माण नहीं हो पाता या बहुत ही क्षीण मात्रा में होता है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। इसे नियंत्रित करने के लिए प्रायः इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
टाइप 1.5 डायबिटीज।
यह डायबिटीज ज्यादा हानिकारक नहीं होती और सामान्यतः वयस्कों में ज्यादा पाई जाती है। इसे टाइप 3 डायबिटीज के नाम से भी जाना जाता।
इससे ह्रदय संबंधी विकारों का खतरा टाइप 1 तथा टाइप 2 डायबिटीज की तुलना में कम होता है ।
एक एक शोध के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में 15 से 20% व्यक्ति टाइप 1.5 डायबिटीज से पीड़ित पाए गए।
टाइप 2 डायबिटी।
दुनिया के डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में लगभग 90% व्यक्ति टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं। यह तब होती है जब रक्त में शर्करा अनियंत्रित रूप से बढ़ जाती है। इसका मुख्य कारण मोटापा होता है।
गेस्टेशनल डायबिटीज।
यह डायबिटीज मुख्यतः गर्भावस्था के दौरान पाई जाती है यदि मां को यह डायबिटीज है तो यह बच्चे को भी हो सकती है। जिससे बच्चे का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। बात की जाए इसके लक्षणों की तो इसके लक्षण भी टाइप 2 डायबिटीज के समान ही होते हैं।
डायबिटीज के प्रमुख कारण।
डायबिटीज अनुवांशिक कारणों से भी फैलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक संतति से अगली संतति तक पहुंच जाता है। यह गर्भवती से उसके बच्चों में भी बहुत आसानी से अभिगमन करता है।
डायबिटीज होने का मुख्य कारण।
1-मोटापा
डायबिटीज होने का मुख्य कारण है। आज मोटापे से पीड़ित ज्यादातर व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित हैं।
2-धूम्रपान।
धूम्रपान भी डायबिटीज होने की मुख्य वजह है। ज्यादा धूम्रपान करने से हमारे रक्त में शर्करा का मात्रा अनियंत्रित होने लगती है, जिससे डायबिटीज होने का खतरा अत्यधिक हो जाता है। ज्यादा शराब के सेवन से भी डायबिटीज हो जाती है। आज युवा पीढ़ी धूम्रपान का सेवन कर रही है जिससे युवा वर्ग भी डायबिटीज की ओर अग्रसर होता जा रहा है।
3-जीवन शैली।
आज हम आधुनिकता में जी रहे हैं, जहां ज्यादातर लोग काम करते हुए अपने स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रख पाते और गलत तरह से भोजन जैसे, जंक फूड, फैटी भोजन आदि का सेवन अधिक मात्रा में करने लगते हैं, जो डायबिटीज का मुख्य कारण है।
4-मानसिक तनाव
आज ज्यादातर लोग अपने काम को लेकर दौड़-धूप करते रहते हैं। जिससे वह कुछ मानसिक तनाव में भी आ जाते हैं। कभी-कभी यह मानसिक तनाव हद से भी ज्यादा होने लगता है और यही तनाव डायबिटीज का कारण भी बन जाता है।
डायबिटीज के मुख्य लक्षण।
ज्यादा प्यास लगना, खाना खाने के बाद भी भूख लगना, बार बार पेशाब आना, अचानक तेजी से वजन में कमी आदि डायबिटीज के मुख्य लक्षण हैं।
डायबिटीज में त्वचा संबंधी विकार भी पैदा होने लगते हैं तथा पैरों में झुनझुनाहट भी आम बात होती है।
डायबिटीज को कैसे नियंत्रित करें।
वैसे तो एक बार डायबिटीज हो जाने पर उसे नियंत्रित करना काफी कठिन होता है। लेकिन हम एक अच्छी जीवनशैली तथा खान-पान में अनियमितता बरत कर डायबिटीज को कम कर सकते हैं।
- पालक डायबिटीज को 14 परसेंट तक कम कर सकता है इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो डायबिटीज को कम करते हैं।
- ग्रीन टी मैं भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो हमें स्वस्थ रखने का कार्य करते हैं। इससे सेवन से हमारे रक्त में घुली हुई शर्करा का स्तर कम हो जाता है। कई शोधों में पाया गया है कि ग्रीन टी के सेवन से डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है।
- करेला रक्त में उपस्थित ग्लूकोज को बाहर निकालता है, जिससे डायबिटीज नियंत्रित होती है।
- सेव में एंथोसायनिन नामक तत्व पाया जाता है, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। अतः इसका नियमित सेवन किया जाना चाहिए।
- नींबू के सेवन से डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है।
- मेथी रक्त में उपस्थित शर्करा को कम करती है जिससे डायबिटीज नियंत्रित होती है।
डायबिटीज में इन चीज़ो से करें परहेज़।
डायबिटीज होने पर तली चीजें, समोसा, पकोड़े, चावल, आलू, चिकनी तथा तेल से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए। जितना संभव हो इनसे दूरी बनाकर रखें।
डायबिटीज बढ़ने की मुख्य वजह है, लोगों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव। आज विश्व में सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगी भारत में ही है। लेकिन दुख की बात यह है कि यहां लोग डायबिटीज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते और बन जाते हैं बीमारियों का एक ऐसा घर, जहां कई प्रकार की बीमारियां फलने-फूलने लगती हैं। डायबिटीज हो जाने पर आवश्यक है कि एक योग्य चिकित्सक से परामर्श लें, उसके द्वारा दी गई सभी प्रकार की दवाओं का नियमित सेवन करें। और अपने डायबिटीज का चेकअप कराते रहें। डायबिटीज होने पर जरा सी भी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है।
आज हमारे देश में डायबिटीज के बारे में जानकारी का बहुत ज्यादा अभाव है, जो काफी चिंताजनक है। आप इस काम में आगे आकर लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैला सकते हैं। आप यह कर सकते हैं, इस लेख के शेयर करके। आप इस लेख कि अपने प्रियजनों के साथ शेयर कर उनमें जागरूकता ला सकते हैं।
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