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इतनी मजेदार होती है मोती बनने की प्रक्रिया।

हेलो दोस्तों आपने तो मोतियों की चमकदार माला जरूर देखी होगी। श्वेत वर्ण लिए चमकदार माला मानो सभी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। आज स्त्रियां सौंदर्य प्रसाधन के रूप में मोतियों की माला का काफी मात्रा में उपयोग कर रही हैं। लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह श्वेत चमकदार मोती आते कहां से हैं। moti  चलिए दोस्तों आज हम जानेंगे कि आखिर मोतियों की माला आते कहां से हैं। मोतियों के प्राप्ति का स्त्रोत घेंघा है। घेंघा एक विशेष प्रकार का समुद्री जीव होता है जो प्राकृतिक रूप से मोती का निर्माण करता है। घेंघा एक कठोर परत के अंदर अपने आप को सुरक्षित रखता रखता है। उस कठोर परत को शीप कहते हैं। जब इन शीपों में छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं तो रेत के कण शीप के अंदर पहुंच जाते हैं और घेंघे के शरीर के ऊपर एकत्रित हो जाते हैं। तत्पश्चात एकत्रित घूल के कण एक विशेष प्रकार के चमकदार श्वेत गोल ठोस में परिवर्तित हो जाते हैं। यह ठोस कैल्शियम कार्बोनेट का बना होता है। जो घेंघे के ही शरीर से उत्सर्जित होता है। इस चमकदार ठोस को ही मोती कहते हैं। ज्यादातर मोती गोल ही होते हैं। मोती निर्माण के पश्चा

क्या है हाइपर बेरिक ऑक्सीजन थेरेपी।

यदि हमसे कहा जाए कि मानव को इस पृथ्वी में जीवित रहने के लिए क्या सबसे आवश्यक है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले प्राण वायु ऑक्सीजन(O2) का ही नाम आता है। आखिर आए भी क्यों ना सदियों से यह पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीव जंतुओं का पालन पोषण जो कर रही है। बिना ऑक्सीजन के हम कुछ ही क्षणों में मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। यह मानव को प्रकृति द्वारा मिला सबसे महत्वपूर्ण उपहारों में से एक है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारी पृथ्वी में उपस्थित 100% गैसों में ऑक्सीजन की मात्रा महज 21% ही है, जबकि शेष 78% नाइट्रोजन तथा 1% अन्य गैसें और धूलकण हैं। मनुष्य सांस के रूप में ऑक्सीजन ग्रहण करता है और शरीर में विविध प्रक्रियाओं से बनी विषैली गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड(CO2) आदि गैसों को त्यागता है। एक सामान्य व्यक्ति जब वायुमंडल से ऑक्सीजन को ग्रहण करता है तो रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन से यह ऑक्सीजन 95% तक संतृप्त हो जाता है। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में कोई भी परेशानी नहीं होती और यह हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की उपयुक्त मात्रा प्रदान करता है। जिससे शरीर समुचित तरीके से अपना कार्य क

जानिए शवों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है।

जानिए शवों को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है। क्या आपके दिमाग में भी कभी ये सवाल आया है कि, अभिनेताओं  या बड़े लोगों की मृत्यु के बाद उनके शवों को चार-पांच दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है। क्यों उनके शव से बदबू नहीं आती। वैसे तो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका शरीर सड़ने लगता है और उससे अजीब तरह की गंध आने लगती है, क्योंकि मनुष्य के शरीर में उपस्थित विभिन्न प्रकार के एंजॉइम जो कि विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहे होते हैं वे स्वयं शरीर को खाने लगते हैं। embalming चलिए दोस्तों अब जानते हैं आखिर मृत शरीर को कई दिनों तक सुरक्षित कैसे रखा जाता है। मृत शरीर को सुरक्षित रखने के लिए जिस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है उसे embalming प्रक्रिया कहते हैं। Embalming तरल एक विशेष प्रकार का तरल होता है, जिसमें मेथेनॉल,एथेनाल, फॉर्म एल्डिहाइड, फिनाल और पानी मिला होता है। embalming  Embalming प्रक्रिया शुरू करने से पहले मृतक शरीर को अच्छी तरह से कीटाणुनाशक तरल से नहलाया जाता है। तत्पश्चात embalming प्रक्रिया शुरू की जाती है। कितने प्रकार से होती है embalming प्र