क्या आपको पता है इतिहास का सबसे रोचक वैज्ञानिक प्रयोग
आज बिजली का उपयोग हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है। बिजली आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। बिजली की इसी उपयोगिता के कारण आज कई देश इस के ज्यादा से ज्यादा उत्पादन का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
हमने बिजली की उपयोगिता के बारे में जाना। अब हम जानेंगे इसके इतिहास की एक ऐसी घटना जो आप को रोमांचित कर देगी।
बात की जाए बिजली की इतिहास की तो बिजली का आविष्कार किसी एक वैज्ञानिक ने व्यक्तिगत रूप से नहीं किया, बल्कि कई वैज्ञानिकों के सार्थक प्रयोगों द्वारा आज हम बिजली का आविष्कार करने में सक्षम हो सकें। यह वैज्ञानिक है निकोला टेस्ला, बोल्टा, गैल्वेनी, मैक्सवेल इत्यादि।
गैल्वेनी जो कि इटालियन विद्वान थे, उनके ज्ञान की चर्चा दूर-दूर तक फैली थी। उनके पास बिजली उत्पादक मशीन थी। जिसके द्वारा विद्यार्थियों को दिखाया करते थे कि आखिर बिजली क्या है। इसके लिए वे एक कांच के ऊपर रेशम के कपड़े को रगड़ते थे और रगड़ने के बाद वह इस पर एक लट्टू को रखते थे। जैसे ही वे लट्टू को कांच पर रखते वैसे ही उससे चिंगारियां निकलने लगती।
विद्यार्थी यह रोमांचक घटना देखकर काफी प्रसन्न हो जाते। एक बार दुर्भाग्य से उनकी पत्नी का स्वास्थ्य खराब हो गया। जिससे बाद गैल्वेनी ने चिकित्सक को बुलवाया। चिकित्सक ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें मेढ़कों का जूस दिया जाए तो वे बिल्कुल स्वस्थ हो सकती हैं। गैल्वेनी ने ठीक ऐसा ही किया, और मरे हुए मेंढकों का इंतजाम कर लिया। उन्होंने मेंढकों को उसी बेंच में रखा जिसमें वे बिजली उत्पादन का प्रयोग किया करते थे। बावर्ची(खाना बनाने वाले) के लेट होने के कारण उन्होंने मेढक को उसी टेबल पे रखा रहने दिया और दोबारा अपने विद्यार्थियों को अपनी मशीन से चिंगारियां निकलता दिखाने लगे। इस प्रयोग को करते समय उन्होंने एक घटना देखी जिससे वे काफी हैरान थे। उन्होंने देखा कि जैसे ही चिंगारियां उत्पन्न होती हैं, टेबल पर रखे मरे हुए मेंढक अपने पैर फड़फड़ाने लगते हैं। उन्होंने बार-बार यही प्रयोग किया जिससे हर बार मेंढकों के पैर फड़फड़ाए। उन्होंने और भी मरे हुए मेढकों को मंगाया और उन पर भी यही प्रयोग किया। जिसमें उन्हें यही परिणाम प्राप्त हो रहे थे। यह देखकर वे काफी हैरान थें। उन्होंने सोचा कि निश्चित ही जीवित मेंढक अपने शरीर में उत्पन्न बिजली के कारण ही यहां वहां चल-फिर सकते हैं या जिंदा रहते हैं। अब उनका ध्यान इस बात की ओर गया कि क्या यह मेंढक हवा की बिजली से भी अपने पैर फड़फड़ाते हैं। इसका प्रयोग करने के लिए उन्होंने बरसात के मौसम में मरे हुए मेंढकों को पीतल की खूंटी में लटका दिया ताकि वह जान सके कि जब आकाश में बिजली चमकेगी तब मेंढक अपनी टांगे फड़फड़ाएंगे या नहीं। आकाश में बिजली कई बार चमकी लेकिन मरे हुए मेंढक तनिक भी ना हिले यह देखकर गैल्वेनी काफी निराश और हताश हुए। और अंत में वे मे मेंढकों को निकालने लगें। मेंढकों को निकालते समय एक मेंढक का शरीर लोहे की एक नल को छू गया जिससे मेंढक को झटका लगा यह देखकर गैल्वेनी काफी खुश हुए और उन्होंने इस पर दोबारा प्रयोग करना शुरू कर दिया। जिसमें उन्होंने पीतल की खूंटी पर लोहे की तार द्वारा मेंढक को लटका दिया अब जैसे ही आकाश में बिजली उत्पन्न होती है वैसे ही मेंढक फड़फड़ाने लगते। जिसके पीछे गैल्वेनी ने तर्क दिया कि मेंढक के शरीर में बिजली दौड़ती रहती है जिससे वे यहां वहां चल फिर सकते हैं या जिंदा रहते हैं। उन्हें उनकी इस बात को सारी दुनिया ने स्वीकार किया। लेकिन इसके बाद एक वैज्ञानिक जिनका नाम था "बोल्टा" उन्होंने इस पर प्रयोग के दौरान देखा कि जब पीतल की खूंटी पर पीतल की तार से मेंढक को लटकाया जाता है और उसी पीतल की तार द्वारा मेंढक को स्पर्स किया जाता है तो वह स्थिर रहता है। और यदि लोहे की तार को स्पर्स कराया जाता है तब मेंढक के पैर फड़फड़ाने लगते हैं।
यह देखकर उन्होंने बताया कि बिजली मरे हुए मेंढकों में नहीं बल्कि लोहे और पीतल की तार में ही उपस्थित है। जब लोहे और तांबे को मिला देते थे बिजली पैदा हो जाती थी जिससे जोर का झटका लगता था। इसी बात से प्रेरित होकर आगे के वैज्ञानिकों ने अन्य धातुओं से बिजली के उत्पादन की विधि ढूंढी। उसका ही परिणाम है कि आज हम अति महत्वपूर्ण बिजली का उपयोग कर पा रहे हैं।
प्रिय पाठकों कैसी लगी आपको बिजली के प्रयोग कि यह रोचक घटना एक बार कमेंट कर हमारा उत्साहवर्धन जरूर करें। क्योंकि आपका प्रेम ही हमारी सफलता है।
सधन्यवाद!
Very nice story ankur
ReplyDeleteधन्यवाद!
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