क्यों आरस्तु को उनके घर से निकाला गया था
आज आरस्तु का नाम कौन नही जानता। आरस्तु एक यूनानी दार्शनिक थे। आरस्तु विश्वविजेता सिकंदर महान के गुरु तथा प्लेटो के शिष्य थे। अरस्तु एक महान भौतिक शास्त्री, जीव विज्ञानी, कवि, नााटककार, राजनीति शास्त्री इत्यादि थे।
आज हम आपको आरस्तु के जीवन से जुडी एक महत्वपूर्ण और दुखद घटना के बारे में बातएंगे। आखिर क्यों आरस्तु को उनके गृह नगर से निकाल दिया गया था।
क्यों आरस्तु को बेघर कर दिया गया था
प्राचीन काल में धार्मिक तथा वैज्ञानिक प्रवृतियों में बहुत विरोधाभास था। इसी वीरोधाभास के कारण अरस्तु को बेघर होना पड़ा था।"देवता ज्यूस" यूनानियों के सबसे महान देवता थे। यूनानी मानते थे की "देवता ज्यूस" ने ही इस दुनिया का निर्माण किया है। यूनानी हीलियस को सूर्य का देवता मानते थे। उनकी मान्यता थी कि हीलियस अपने "प्रकाशवान घोड़ों" के सजे हुए रथ से सुबह पृथ्वी के नीचे से निकलते हैं और शाम होते ही वे अपने घोड़ों को आराम देने के लिए पृथ्वी के नीचे चले जाते हैं। (यूनानी इसी रथ को सूर्य मानते थे ) यूनानी कथाओं के अनुसार एक बार "फेतोन" जो की सूर्य के देवता हीलियस का पुत्र था। वह रथ की सवारी करने की जिद कर रहा था। जिससे हीलियस ने उसे अपने रथ में यात्रा करने की अनुमति देदी। जिसके बाद फेतून रथ लेकर निकल पड़ा। जैसे ही वह रथ वृश्चिक राशि के निकट पंहुचा सभी घोड़े डर गये और पृथ्वी की ओर दौड़ने लगे जिससे पृथ्वी पर उपस्थित सभी चीज़ें जलने लगीं । इसके बाद लोगों ने देवता ज्यूस से पृथ्वी को बचाने की प्रार्थना की। देवता ज्यूस ने पृथ्वी की ओर आ रहे रथ के सामने एक बिजली गिराई जिससे फेतून रथ से गिरकर पृथ्वी में आ गया। और घोड़े पीछे की ओर खिसकर वापस चले गए। इस प्रकार देवता ज्यूस ने पृथ्वी को नस्ट होने से बचाया
सभी लोग यूनानी पुजारियों की इन कहानियों में विश्वाश रखते थे। लेकिन आरस्तु को कभी भी ऐसी कहानियां पसंद नहीं आती थी। उन्होंने इन कहानियों का विरोध किया। उन्होंने पायथागोरस का साथ देते हुए कहा की की पृथ्वी गोल है यहाँ ऊपर निचे जैसा कुछ नहीं है। सूर्य एक आकाशीय पिंड है, जो पृथ्वी की प्रक्रिमा करता है। उनका मानना था की पृथ्वी के चारों तरफ 8 पारदर्शक ठोस आकाश हैं, जो सूर्य, मंगल, चन्द्रमा, शुक्र आदि ग्रहों के आकाशों के साथ जुड़े हुए हैं। अरस्तु की इन बातों को सुनकर यूनानी पुजारी क्रोध में आ गए और अरस्तु का विरोध करना शुरू कर दिया पुजारी कहते थे की " अरस्तु कहता है की, यह हम साधुओं द्वारा रची गई कहानी है। और सूर्य कोई देवता नहीं बल्कि एक आकाशीय पिंड है। इसे इसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए " . आख़िरकार सभी पुजारियों ने लोगों को अरस्तु के खिलाफ भड़काकर उन्हें अपने गृह नगर से निकलवा दिया। जिसके बाद अरस्तु को अपने जीवन के अंतिम क्षण अपने घर से बाहर ही बिताने पड़े।
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धन्यवाद !
Nice story, I proud of arustu
ReplyDeleteआरस्तु वाकई महान थें।
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