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आंखों से हम कैसे देख पाते हैं।


 आंख से हम कैसे देख पाते  हैं। 


आंख से हम कैसे देख पाते  हैं।

कभी न कभी प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर हमारी आंखें कैसे हमे ये दुनिया दिखाती हैं। हमारी आंखों को देखने में लिए किन-किन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। हम जाने की हमारी आंखें कैसे काम करती हैं, इससे पहले हमे जानना होगा हमारी आखों की आंतरिक संरचना में बारे में।

आखों की संरचना 

जैसा की हम सब जानते हैं कि प्रत्येक मनुष्य में दो ही आंखें होती हैं। हमरे आखों की संरचना एक गोले के समान होती है, जिसे नेत्रगोलक कहा जाता है। नेत्रागोलक का व्यास 25 मिलीमीटर जितना होता है। नेत्रगोलक का बाहरी हिस्सा एक पतली पारभाषी परत से मिलकर बना होता है, जो "कंजक्टाइवा" के नाम से जाना जाता है। कंजक्टाइवा के अंदर एक और परत पाई जाती है जिसे हम "इस्कलेरा" के नाम से जानते हैं।  
चलिए अब बात करते हैं आंखों की आंतरिक संरचना की। हमारी आंखों के अंदर कॉर्निया, परितारिका, पुतली, नेत्रोद, अभिनेत्र लेंस, तथा रेटिना पाए जाते हैं। कार्निया एक परदर्शक तथा अत्यंत पतली झिल्ली जैसी संरचना होती है। नेत्र के अग्र भाग में उभार यही बनती है। कार्निया के नीचे एक और परत पाई जाती है जिसे यूविका के नाम से जाना जाता है। यह हमारे नेत्रगोलाक के अंदर पुतली, परितारिका तथा नेत्रोद को ढककर रखती है।
कार्निया के पीछे एक पतला तथा गोलाकार डायफ़्राम होता है, जिसे परितारिका कहते हैं। परितारिका का रंग कुछ भी हो सकता है जैसे - काला, भूरा या नीला। इसी के कारण लोगों कि आंखें काली, भूरी या नीली होती हैं।
परितारिका के बीच में एक अत्यंत सूक्ष्म छिद्र होता है, जिसे पुतली कहते हैं।
परितारिका के नीचे एक अत्यंत लचीला, पारदर्शी द्वि-उत्तल अभिनेत्र लेंस होता है ।

आंखें कैसे देखती हैं।


जैसे ही किसी वस्तु पर प्रकाश पड़ता है वह प्रकाश परावर्तित होकर हमारी आंखों की ओर आता है। आंखों में आने वाला प्रकाश सबसे पहले हमारी कार्निया प्रवेश करता है। कॉर्निया द्वारा इस प्रकाश का ज्यादा से ज्यादा अपवर्तन होता है।
इसके बाद प्रकाश परितारिका से होता हुआ अभिनेत्र लेंस में जाता है। जहां पर प्रकाश किरणें आभाषी तथा उल्टा प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाती हैं। रेटिना अत्यंत सुग्राही कोशिकाओं से बनी होती है। जैसे ही प्रकाश रेटिना से टकराता है, रेटिना में उपस्थित सुग्राही कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं। जिसके तुरन्त बाद विधुत संकेत उत्पन्न हो जाते हैं। इसके बाद इन विधुत संकेतों को रेटिना द्वारा मस्तिष्क में पहुंचा दिया जाता है। मस्तिष्क पर विधुत संकेत पहुंचने के बाद मस्तिष्क हमे चीज़ो को दिखाता है।
इस प्रकार हमारी आंखें किसी भी वस्तु को देखती हैं।


आंख से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।

1- हमारी आंखें 1 करोड़ रंगों की पहचान कर सकती हैं।

2- आखों का सफेद भाग इस्कलेरा नामक परत के कारण होता है।

3- हमारी आंखों में उपस्थित मांसपेशियां शरीर के अन्य भाग में उपस्थित मांशपेशियों की तुलना में ज्यादा सक्रिय होती हैं।

4- मनुष्य कभी भी आंख खोलकर छींक नही सकता।

5- शुतुरमुर्ग की आंखें उसके दिमाग से भी बड़ी होती हैं।

6-  एक नवजात शिशु 3 से 10 हफ़्तों तक रो तो सकता है, पर आंसू नहीं निकाल सकता।

7- हमारी आंखें 576 मेगापिक्सल की होती हैं।

8- हमारी आंखें एक साल में 52 लाख बार झपकती हैं।

9- हमारी आखों का वजन महज 8 ग्राम होता है।

10- हमारी आखों पर किसी भी वस्तु का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बनता है।

11- आंखों में उपस्थित कार्निया में कोई भी रक्त वाहिका नहीं पाई जाती। जबकि शेष सभी अंगों में रक्त वाहिकाएं पाई जाती हैं।

12- हमारे दिमाग का आधे से ज्यादा हिस्सा आंखों को नियंत्रित करने में व्यस्त रहता है।

13- हमारी एक आंख 150° तथा दोनो आंखें 180° तक के क्षेत्र को देख सकती हैं।

14- नवजात शिशु केवल 15 इंच तक कि दूरी तक ही देख सकता है।

15- मधुमक्खियों की 5 आंखें होती हैं।

दोस्तों कैसी लगी आपको हमारी यह पोस्ट एक बार कमेंट करके जरूर बताएं। इससे हमें आंखें और अच्छे लेख लिखने की प्रेरणा मिलेगी।
धन्यवाद!

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