वैसे तो संसार में कई आइसलैंड हैं लेकिन ईस्टर आइसलैंड इन सभी आइसलैंडों में सबसे अलग तथा सबसे रहस्यमई है। यह दक्षिण पूर्व प्रशांत महासागर में स्थित है। जो वर्तमान में चिली का हिस्सा है। ईस्टर आइसलैंड रहस्य की एक ऐसी अनसुलझी पहेली है जिसे आज तक सुलझाया नहीं जा सका। दोस्तों आज हम जानेंगे ईस्टर आइसलैंड के बारे में जिसका रहस्य उसकी खोज के साथ ही प्रारंभ हो गया था।
क्या है ईस्टर आईसलैंड का रहस्य
ईस्टर आइसलैंड में हजारों ऐसी बड़ी-बड़ी 15 से 20 फुट ऊंची तथा 70-80 टन वजनी मूर्तियां पाई गई जिन्हें देखकर कोई भी हैरान हो सकता है। कुछ मूर्तियों तो ऊंचाई में 30 से 32 फुट तथा 80 से 90 टन वजनी थी। वैज्ञानिकों पुरातत्वविदों के अनुसार यह मूर्तियां आज से 1200 साल पहले बनाई गई थीं। अब सवाल आता है कि आखिर इन मूर्तियों को बनाया किसने था, जबकि वहां पर किसी सभ्यता के होने के प्रमाण ही नहीं मिलते और यदि इन्हें इस देश के निवासियों ने बनाया था तो सवाल यह उठता है कि, आज से हजारों साल पहले मानव सभ्यता इतनी विकसित ही नहीं हुई थी कि इतने बड़े तथा वजनी पत्थरों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सके और इतनी विस्मयकारी मूर्तियां बना सकें।
अब एक सवाल और उठता है वह यह है कि किसी अन्य देश के लोगों ने इन मूर्तियों को लाकर ईस्टर द्वीप पर रख दिया है। यदि ऐसा है तो कोई आखिर क्यों इतनी हजारों वजनदार मूर्तियों को लाकर ईस्टर द्वीप पर स्थापित करेगा।
लेकिन कई लोगों का यह भी मानना है कि आज से बारह सौ साल पहले यहां एलियन "दूसरे ग्रहों के निवासी" आये थे उन्होंने ही इन मूर्तियों की रचना की और कुछ दिनों बाद वे वहां से चले गए।
क्योंकि उस समय मानव द्वारा ऐसी मूर्तियां बनाया जाना अद्भुत अविश्वसनीय तथा अकल्पनीय था।
तो क्या वास्तव में ईस्टर आइसलैंड अपने अंदर ऐसे रहस्य को छुपाए हुए हैं जिससे अभी तक विज्ञान भी नहीं पढ़ पा सका। क्या वास्तव में यहां कई सालों पहले एलियन्स आये थे।
यह सभी प्रश्न आज भी अधूरे हैं। वैज्ञानिक तथा अन्वेषक इस गुत्थी को सुलझाने में लगे हुए हैं। हमें शीघ्र ही उस दिन का इंतजार है जब ईस्टर आइसलैंड से पर्दा उठेगा।
कैसे खोजा गया था ईस्टर आईसलैंड
इस आइसलैंड का रहस्य शुरू होता है 1722 से जब ईस्टर रविवार को इस द्वीप पर एक हांलैंड वासी ने कदम रखा। इसीलिए इस आईसलैंड का नाम ईस्टर आइसलैंड रखा गया। इसके बाद सन् 1914 में इस आइसलैंड पर एक अंग्रेज महिला कैथरीन राउलरेज पहुंचीं इन्हें ही इस आइसलैंड की खोज का श्रेय दिया जाता है।
इन्होंने ही ईस्टर आइसलैंड का परिचय दुनिया से कराया। आज ईस्टर आइसलैंड चिली के कब्जे में है। बात करें इस आइसलैंड की विविधता की तो यहां पर अत्यंत कम पेड़ पौधे पाए जाते हैं। इस आइसलैंड का सामान्य तापमान 72 डिग्री फारेनहाइट रहता है तथा यहां पर 50 इंच औसत वार्षिक वर्षा होती है। इस आइसलैंड पर तीन ज्वालामुखी पाए गए हैं। तथा यहां झीलें भी पाई गई हैं।
क्या मानते हैं इतिहासकार
इतिहासकारों का मानना है कि ईस्टर द्वीप पर एक सभ्यता निवास करती थी। जिन्होंने इन दैत्याकार मूर्तियों का निर्माण किया था। उन्नीसवीं सदी में यहां पर यूरोप वासियों का आगमन हुआ और उन्होंने ईस्टर द्वीप वासियों को बंदी बना कर ले जाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यहां की जनसंख्या काफी कम हो गई और बचे हुए ईस्टरवासी भी गरीबी के कारण मारे गए। इन बचे हुए गरीबों की सहायता करने के लिए चिली ईस्टर द्वीप पर आया और तब से ईस्टर द्वीप पर चिली का अधिकार हो गया।
लेकिन कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि इन मूर्तियों को पोलिसियन लोगों ने बनाया था। यह मत भी आज कई लोगों द्वारा अमान्य कर दिया गया है।
क्यों महत्वपूर्ण है इस तरह आइसलैंड के रहस्य की गुत्थी को सुलझाना।
दोस्तों आज ईस्टर आइसलैंड की रहस्य की गुत्थी सुलझाना काफी आवश्यक है, क्योंकि यदि पता चलता है की इसका निर्माण हजारों साल पहले यहां के निवासियों ने किया था तो हमें उस विधि का भी पता जरूर चलेगा जिससे इतने भारी भारी पत्थर यहां से वहां विस्थापित किए जा सकें। यदि यह विधियां हमें पता चलती हैं तो हम जान सकेंगे कि प्राचीन काल में भी लोग जाने अनजाने में किस प्रकार विज्ञान का उपयोग किया करते थे। और यदि हमें यहां पर कुछ भी सबूत नहीं मिलते तो हमारी यह कल्पना भी गलत नहीं होगी कि इन्हें एलियन ने बनाया होगा।
दोस्तों आपको क्या लगता है कि वास्तव में इन मूर्तियों का निर्माण गुम हुए ईस्टर वासियों ने किया होगा या एलियंस ने। हम आपकी प्रतिक्रिया जानने के लिए अति उत्साहित हैं।
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