क्या वाकई में आज से 3500 साल पहले अटलांटिक महासागर में जिब्राल्टेर जलडमरू -मध्य के आस पास एक ऐसा द्वीप था जो यूरोप और एशिया महाद्वीप के योग से भी ज्यादा बड़ा था। आज हम जानेंगे सबसे रहस्यमई "अटलांटिस द्वीप" के बारे में जिसका रहस्य आज तक किसी ने नहीं सुलझा पाया है।
क्या है "अटलांटिस द्वीप" का रहस्य
प्लेटो के अनुसार आज से 3500 साल पहले अटलांटिक महासागर में एक द्वीप हुआ करता था जिसे लोग अटलांटिस के नाम से जानते थे। अटलांटिस द्वीप के लोग काफी उन्नत थे। काफी अच्छी मंदिरें, बंदरगाह, अच्छी-अच्छी धातुएं, सोने के रथ पर सवार देवता आदि चीजें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अटलांटिस वाकई एक अद्भुत द्वीप था।
लेकिन अटलांटिसवासियों की इन खुशियों के बीच आया एक ऐसा दिन जिसने सारी अटलांटिस द्वीप की कहानी ही खत्म कर दी।
एक शाम अटलांटिस के चारों ओर का समुद्र लाल होने लगा जोर- जोर की आवाजें आने लगी धरती हिलने लगी। सभी अटलांटिस-वासी काफी डर गए, और कुछ ही समय बाद आकाश से जलते हुए पत्थरों की वर्षा होने लगी, चारों तरफ आग ही आग फैल गई और एक अत्यंत तीव्र ज्वालामुखी फूट पड़ा, थोड़े ही समय बाद पूरा का पूरा द्वीप समुद्र के अंदर दफ्न हो गया और शुरू हुई रहस्य की एक ऐसी कहानी जो आज भी रहस्य ही है।
आखिर क्या हुआ था "अटलांटिस द्वीप" के साथ।
एक शाम अटलांटिस के चारों ओर का समुद्र लाल होने लगा जोर- जोर की आवाजें आने लगी धरती हिलने लगी। सभी अटलांटिस-वासी काफी डर गए, और कुछ ही समय बाद आकाश से जलते हुए पत्थरों की वर्षा होने लगी, चारों तरफ आग ही आग फैल गई और एक अत्यंत तीव्र ज्वालामुखी फूट पड़ा, थोड़े ही समय बाद पूरा का पूरा द्वीप समुद्र के अंदर दफ्न हो गया और शुरू हुई रहस्य की एक ऐसी कहानी जो आज भी रहस्य ही है।
क्या मानते हैं वैज्ञानिक।
कुछ वैज्ञानिक तथा विशेषज्ञ यह मानने को तैयार हैं कि वहां पर 500 से 1000 परमाणु बम की ताकत से ज्वालामुखी विस्फोट हुआ होगा। जिससे द्वीप में पत्थरों तथा राख की बारिश हुई होगी। जिससे कई सप्ताह तक समुद्र के आकाश का रंग काला दिखाई पड़ा होगा। आज भी उस स्थान पर इसके अवशेष पाए जा सकते हैं। इस बचे हुए द्वीप को यूनानियों ने "कलिस्ट" कहा है।
क्या हैं "अटलांटिस द्वीप" के होने के प्रमाण
यदि बात की जाए इस घटना के प्रमाण की तो इसका अभी तक मात्र एक ही व सर्वमान्य प्रमाण उपलब्ध है। इस द्वीप के बारे में सर्वप्रथम "प्लेटो" ने अपने भतीजे "क्रिटियास" को बताया था। क्रिटियास ने बताया कि उन्हें इस द्वीप के बारे में उनके दादा प्लेटो ने उन्हें बताया था। प्रिटियास यह भी दावा करता है कि उसने यह कहानी अपने परदादा ड्रोपिडस से भी सुनी थी।
यहां तक कि प्लेटो के गुरु सुकरात भी यह कहते हैं कि "यह एक तथ्य है कोई कहानी नहीं" इस प्रकार हमें अटलांटिस द्वीप के होने के प्रमाण मिलते हैं। और ड्रोपिडस कहते हैं कि उन्होंने इस रहस्यमय घटना के बारे में यूनानी इतिहासकार सोलन से सुना था। सोलन की मृत्यु के 200 वर्ष बाद प्लेटो ने इस द्वीप के बारे में लिखा था। सोलन का कहना है कि उन्होंने यह कहानी मिस्त्र के एक पुजारी से सुनी थी। लेकिन क्या इन इतिहासकारों द्वारा अटलांटिस द्वीप के उपस्थित होने के पक्ष में किए जा रहे दावे वास्तव में सच हैं।
क्या कहते हैं आधुनिक वैज्ञानिक तथा पुरातात्विक प्रमाण
पंद्रहवीं शताब्दी से विशेषज्ञों ने नक्शे में अटलांटिस नामक द्वीप को जगह देनी शुरू कर दी। अटलांटिस की वास्तविकता को जानने के बारे में लोगों की रुचि इतनी ज्यादा थी कि कुछ भी नई चीजों की खोज को सीधा अटलांटिस द्वीप से जोड़ दिया जाता था। यहां तक कि इस संबंध में एक नया विज्ञान का क्षेत्र "इटियोलॉजी" को भी विकसित करने की मांग की जाने लगी। इसके बाद कुछ दिनों बाद ही अमेरिका के डोनेल ने अटलांटिस द्वीप के बारे में एक किताब लिखी, जिसका नाम था "अटलांटिस द एट्टेडेल्युवियन वर्ल्ड" यह किताब काफी ज्यादा लोकप्रिय हुई।
हाल ही की घटनाएं।
इन सब के बीच एक ऐसा मोड़ आया जिसने इस रहस्य को और भी ज्यादा पेचीदा कर दिया। जब सामुद्रिक शास्त्र ज्ञाताओं ने यह पता लगाया कि अटलांटिक महासागर में भूकंपों का कोई साक्ष्य नहीं मिलता। उन्होंने पता लगाया कि एक 12000 मील तक समुद्र में अंदर फैली हुई एक पहाड़ी जरूर है जो समुद्र में उसी स्थान पर निकलती है जहां पर अटलांटिस के डूबने की जगह बताई जाती है। इन सबके बाद 1912 में अमेरिका की एक पत्रिका में एक लेख छपा जिसमें लिलियम रूडोल्फ हर्टस ये लिखते हैं कि मेरे बाबा ने बहुत खोज के बाद एक बहुत विशाल घड़ा खोज निकाला है जिसमें लिखा हुआ है "अटलांटिस के राजा क्रोनोस की ओर से उपहार"। इसके बाद फिर विश्व के तमाम लोगों में इस रहस्य को लेकर सनसनी फैल गई एक जर्मन पत्रकार ने अब तक इस रहस्य के संबंध में 20000 पुस्तकों प्रकाशित होने के आंकड़े पेश किए हैं।
चलिए बात करते हैं एक और ऐसी घटना की जिसने एक बार फिर अटलांटिस द्वीप के रहस्य के बारे में दुनिया को सोचने पर विवश कर दिया बात है। 1968 कि जब बहामा में डॉक्टरमेशन वैलेंटाइन ने बहामा में जाकर जल के अंदर गाता लगाकर कई विचित्र प्रकार की संरचनाएं देखी जो कई मील तक फैली हुई थी। उन्होंने ही कुछ महीनों बाद नार्थ विमिनी द्वीप के पानी में कई सौ गज लंबी अद्भुत दीवार देखी। इस दीवार का संबंध लोगों ने सीधे-सीधे अटलांटिस से जोड़ दिया।
आज कई लोगों का मानना है कि संभवतः उत्तरी अमेरिका ही वह अटलांटिस द्वीप रहा होगा। लेकिन आज तक कोई भी इस रहस्य को सुलझा नहीं सका।
क्या आपको लगता है कि वाकई ऐसा कोई अटलांटिस नाम का द्वीप रहा होगा जो साढे तीन हजार साल पहले भयंकर ज्वालामुखी से दफ्न हो गया होगा। आपकी क्या राय है एक बार हमें कमेंट में जरूर बताएं।
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धन्यवाद!
आज कई लोगों का मानना है कि संभवतः उत्तरी अमेरिका ही वह अटलांटिस द्वीप रहा होगा। लेकिन आज तक कोई भी इस रहस्य को सुलझा नहीं सका।
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धन्यवाद!
Very nice sir.
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