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पढ़िए अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के टीचर के लिए लिखा गया पत्र।

यह पत्र अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के शिक्षक के लिए लिखा था। जिसे पढ़ने के बाद आप प्रेरणा से भर जाएंगे।  माननीय महोदय! मेरे विचार से हर एक व्यक्ति सच्चा नहीं होता और ना ही सभी गलत होते हैं, किंतु आपको उसे सिखाना होगा कि कौन सच्चा है और कौन गलत है। इस दुनिया में दोस्तों के साथ-साथ आदर्श प्रेरणादायक लोग भी हैं अपने स्वार्थ के लिए जीने वाले नेताओं के साथ सच्चे लोक सेवक नेता भी होते हैं। दुश्मनों के साथ साथ सच्चे मित्र भी होते हैं। हर विरुपता के साथ-साथ सुंदरता भी विद्यमान होती है। आपको चाहे समय कुछ भी लग जाए परंतु आप उसे यह बात जरूर सिखाएगा कि स्वयं का एक कमाना पाए हुए पांच से कहीं ज्यादा मूल्यवान है। आप उसे यह भी सिखाईएगा की हार को कैसे झेलें और जीत की खुशियां कैसे मनाएं। आप उसके मन से ईर्ष्या और द्वेष को हटाने का प्रयास जरूर करना और यदि हो सके तो जीवन में छिपी मौन मुस्कान का पाठ पढ़ाना। आप उसे यह बताने की भी जरूर कृपा कीजिएगा कि दूसरों को आतंकित करने वाला खुद कमजोर होता है उसके मन के अंदर स्वयं चोर होता है, इसलिए वह भयभीत व चिंतित होता है। यदि हो सके तो उसे जीवन में

यह कहानी आपको सफल होने के लिए मजबूर कर देगी।

यह कहानी आपको सफल होने के लिए मजबूत कर देगी। Hello दोस्तों, आज मै आपको बताऊंगा एक ऐसी कहानी जिसे सुनने के बाद आप अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकेंगे। कहानी कुछ यूं है कि, एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु जी से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है। तब गुरुजी ने कहा कि यदि तुम सफलता का रहस्य जानना चाहते हो तो कल सुबह तुम मुझे पास के तालाब के पास मिलना वहीं मै तुम्हे सफलता का रहस्य बताऊंगा और दोनों अपने - अपने घर चले गए। Neturalgyan.com  अगली सुबह शिष्य तालाब के किनारे पहोच गया गुरुजी भी वहां पहले से ही उपस्थित थे। गुरुजी ने शिष्य को अपने साथ तालाब के अंदर चलने को कहा, तभी शिष्य ने कहा कि आपने तो मुझे सफलता का रहस्य बताने के लिए बुलाया है और आप मुझे तालाब के अंदर जाने के लिए क्यों कह रहे हैं। गुरुजी ने कहा धैर्य रखो तुम्हे आज सफलता का रहस्य जरूर पता चलेगा। इतना कहने के बाद दोनों तालाब के अंदर चले गए, गुरुजी ने शिष्य का हाथ पकड़ रखा था, पानी और गहरा होता जा रहा था। शिष्या बहोत भयभीत था। तालाब के बीच पहुंचते ही गुरुजी ने शिष्य का गला पकड़कर तालाब के अंदर डुबो दिया। गुरुजी का शरीर बाहोत